Wednesday, November 9, 2011

Jee Lo Zindagi Jee Bhar ke!

एक कल हमारे पीछे था एक कल हमारे बाद!
आज आज की बात करना हमेशा बस हमारे साथ!
हमसे ही कल बनेगा हमारा आज के अच्छे के बाद!
आज जितना खूबसूरत होगा उसका शायद जवाब न होगा कल के पास!
कल कुछ कल कर भी न पाए कर लो आज को तुम इतना आबाद !
... हम है तो है ये आज और रहेगा हमारा कल !
अगर aaj हम नहीं तो ना रहेगा हमारा कल आज के बाद !

So lets live in out today first to make our tomorrows better...... :)

Thursday, November 3, 2011

हकीकत

ये ज़िन्दगी भी ना जाने क्या खेल खेलती रहती है
कभी लगता है अब तो मंजिल के पास है
फिर एक ही पल में दूरियाँ पैदा कर देती है
फिर भी ना जाने हम किस उम्मीद में ये आँस लगाये रहते है
की शायद आज नहीं तो कल हम जो चाहते है वो मिलेगा
और जीना का यही जस्बा आज नहीं तो कल हमे हमारी मंजिल तक पंहुचा देता है!!!!!!!!

Sunday, May 1, 2011

The Excellence for own satisfaction not for others!

A German once visited a temple under construction where he saw a sculptor making an idol of God. Suddenly he noticed a similar idol lying nearby. Surprised, he asked the sculptor, "Do you need two statues of the same idol?" "No," said the sculptor without looking up, "We need only one, but the first one got damaged at the last stage." The gentleman examined the idol and found no apparent damage. "Where is the damage?" he asked. "There is a scratch on the nose of the idol." said the sculptor, still busy with his work. "Where are you going to install the idol?"

The sculptor replied that it would be installed on a pillar twenty feet high. "If the idol is that far, who is going to know that there is a scratch on the nose?" the gentleman asked... The sculptor stopped his work, looked up at the gentleman, smiled and said, "I will know it." The desire to excel is exclusive of the fact whether someone else appreciates it or not. "Excellence" is a drive from inside, not outside. Excellence is not for someone else to notice but for your own satisfaction and efficiency...

Saturday, March 19, 2011

तीन पेड़ो की कथा

यह एक बहुत पुरानी बात है| किसी नगर के समीप एक जंगल तीन वृक्ष थे| वे तीनों अपने सुख-दुःख और सपनों के बारे में एक दूसरे से बातें किया करते थे| एक दिन पहले वृक्ष ने कहा – “मैं खजाना रखने वाला बड़ा सा बक्सा बनना चाहता हूँ| मेरे भीतर हीरे-जवाहरात और दुनिया की सबसे कीमती निधियां भरी जाएँ. मुझे बड़े हुनर और परिश्रम से सजाया जाय, नक्काशीदार बेल-बूटे बनाए जाएँ, सारी दुनिया मेरी खूबसूरती को निहारे, ऐसा मेरा सपना है|”

दूसरे वृक्ष ने कहा – “मैं तो एक विराट जलयान बनना चाहता हूँ| ताकि बड़े-बड़े राजा और रानी मुझपर सवार हों और दूर देश की यात्राएं करें, मैं अथाह समंदर की जलराशि में हिलोरें लूं, मेरे भीतर सभी सुरक्षित महसूस करें और सबका यकीन मेरी शक्ति में हो… मैं यही चाहता हूँ|” अंत में तीसरे वृक्ष ने कहा – “मैं तो इस जंगल का सबसे बड़ा और ऊंचा वृक्ष ही बनना चाहता हूँ| लोग दूर से ही मुझे देखकर पहचान लें, वे मुझे देखकर ईश्वर का स्मरण करें, और मेरी शाखाएँ स्वर्ग तक पहुंचें… मैं संसार का सर्वश्रेष्ठ वृक्ष ही बनना चाहता हूँ|”

ऐसे ही सपने देखते-देखते कुछ साल गुज़र गए. एक दिन उस जंगल में कुछ लकड़हारे आए| उनमें से जब एक ने पहले वृक्ष को देखा तो अपने साथियों से कहा – “ये जबरदस्त वृक्ष देखो! इसे बढ़ई को बेचने पर बहुत पैसे मिलेंगे.” और उसने पहले वृक्ष को काट दिया| वृक्ष तो खुश था, उसे यकीन था कि बढ़ई उससे खजाने का बक्सा बनाएगा|

दूसरे वृक्ष के बारे में लकड़हारे ने कहा – “यह वृक्ष भी लंबा और मजबूत है| मैं इसे जहाज बनाने वालों को बेचूंगा”| दूसरा वृक्ष भी खुश था, उसका चाहा भी पूरा होने वाला था|

लकड़हारे जब तीसरे वृक्ष के पास आए तो वह भयभीत हो गया|वह जानता था कि अगर उसे काट दिया गया तो उसका सपना पूरा नहीं हो पाएगा| एक लकड़हारा बोला – “इस वृक्ष से मुझे कोई खास चीज नहीं बनानी है इसलिए इसे मैं ले लेता हूं”| और उसने तीसरे वृक्ष को काट दिया|

पहले वृक्ष को एक बढ़ई ने खरीद लिया और उससे पशुओं को चारा खिलानेवाला कठौता बनाया|कठौते को एक पशुगृह में रखकर उसमें भूसा भर दिया गया| बेचारे वृक्ष ने तो इसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी|दूसरे वृक्ष को काटकर उससे मछली पकड़नेवाली छोटी नौका बना दी गई| भव्य जलयान बनकर राजा-महाराजाओं को लाने-लेजाने का उसका सपना भी चूर-चूर हो गया| तीसरे वृक्ष को लकड़ी के बड़े-बड़े टुकड़ों में काट लिया गया और टुकड़ों को अंधेरी कोठरी में रखकर लोग भूल गए|

एक दिन उस पशुशाला में एक आदमी अपनी पत्नी के साथ आया और स्त्री ने वहां एक बच्चे को जन्म दिया|वे बच्चे को चारा खिलानेवाले कठौते में सुलाने लगे। कठौता अब पालने के काम आने लगा| पहले वृक्ष ने स्वयं को धन्य माना कि अब वह संसार की सबसे मूल्यवान निधि अर्थात एक शिशु को आसरा दे रहा था|

समय बीतता गया और सालों बाद कुछ नवयुवक दूसरे वृक्ष से बनाई गई नौका में बैठकर मछली पकड़ने के लिए गए, उसी समय बड़े जोरों का तूफान उठा और नौका तथा उसमें बैठे युवकों को लगा कि अब कोई भी जीवित नहीं बचेगा। एक युवक नौका में निश्चिंत सा सो रहा था। उसके साथियों ने उसे जगाया और तूफान के बारे में बताया। वह युवक उठा और उसने नौका में खड़े होकर उफनते समुद्र और झंझावाती हवाओं से कहा – “शांत हो जाओ”, और तूफान थम गया| यह देखकर दूसरे वृक्ष को लगा कि उसने दुनिया के परम ऐश्वर्यशाली सम्राट को सागर पार कराया है |

तीसरे वृक्ष के पास भी एक दिन कुछ लोग आये और उन्होंने उसके दो टुकड़ों को जोड़कर एक घायल आदमी के ऊपर लाद दिया। ठोकर खाते, गिरते-पड़ते उस आदमी का सड़क पर तमाशा देखती भीड़ अपमान करती रही। वे जब रुके तब सैनिकों ने लकड़ी के सलीब पर उस आदमी के हाथों-पैरों में कीलें ठोंककर उसे पहाड़ी की चोटी पर खड़ा कर दिया|दो दिनों के बाद रविवार को तीसरे वृक्ष को इसका बोध हुआ कि उस पहाड़ी पर वह स्वर्ग और ईश्वर के सबसे समीप पहुंच गया था क्योंकि ईसा मसीह को उसपर सूली पर चढ़ाया गया था।

निष्कर्ष :-- सब कुछ अच्छा करने के बाद भी जब हमारे काम बिगड़ते जा रहे हों तब हमें यह समझना चाहिए कि शायद ईश्वर ने हमारे लिए कुछ बेहतर सोचा है| यदि आप उसपर यकीन बरक़रार रखेंगे तो वह आपको नियामतों से नवाजेगा|प्रत्येक वृक्ष को वह मिल गया जिसकी उसने ख्वाहिश की थी, लेकिन उस रूप में नहीं मिला जैसा वे चाहते थे। हम नहीं जानते कि ईश्वर ने हमारे लिए क्या सोचा है या ईश्वर का मार्ग हमारा मार्ग है या नहीं… लेकिन उसका मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है|

Win your heart!!!!!!!!!!!

एक व्यक्ति एक प्रसिद्ध संत के पास गया और बोला गुरुदेव मुझे जीवन के सत्य का पूर्ण ज्ञान है | मैंने शास्त्रों का काफी ध्यान से मैंने पढ़ा है | फिर भी मेरा मन किसी काम में नही लगता | जब भी कोई काम करने के लिए बैठता हूँ तो मन भटकने लगता है तो मै उस काम को छोड़ देता हूँ | इस अस्थिरता का क्या कारण है ? कृपया मेरी इस समस्या का समाधान कीजिये |

संत ने उसे रात तक इंतज़ार करने के लिए कहा रात होने पर वह उसे एक झील के पास ले गया और झील के अन्दर चाँद का प्रतिविम्ब को दिखा कर बोले एक चाँद आकाश में और एक झील में, तुमारा मन इस झील की तरह है तुम्हारे पास ज्ञान तो है लेकिन तुम उसको इस्तेमाल करने की बजाये सिर्फ उसे अपने मन में लाकर बैठे हो, ठीक उसी तरह जैसे झील असली चाँद का प्रतिविम्ब लेकर बैठी है |

तुमारा ज्ञान तभी सार्थक हो सकता है जब तुम उसे व्यहार में एकाग्रता और संयम के साथ अपनाने की कोशिश करो | झील का चाँद तो मात्र एक भ्रम है तुम्हे अपने कम में मन लगाने के लिए आकाश के चन्द्रमा की तरह बनाना है, झील का चाँद तो पानी में पत्थर गिराने पर हिलाने लगता है जिस तरह तुमारा मन जरा-जरा से बात पर डोलने लगता है |

तुम्हे अपने ज्ञान और विवेक को जीवन में नियम पूर्वक लाना होगा और अपने जीवन को जितना सार्थक और लक्ष्य हासिल करने में लगाना होगा खुद को आकाश के चाँद के बराबर बनाओ शुरू में थोड़ी परेशानी आयेगी पर कुछ समय बात ही तुम्हे इसकी आदत हो जायेगी |

निष्कर्ष :- मन के हालत के चलते इन्सान को अपनी प्रतिभा का सही उपयोग करना सीखना चाहिए बजाये मायूस होकर बैठने के |

Thursday, March 17, 2011

खोज जारी है आस अधूरी है..................

एक बार एक छात्र ने अध्यापक से पूछा की प्यार क्या है " अध्यापक बोला की जवाब देने से पहले मैं चाहूँगा की तुम मक्के के खेत में जाओ और जो सबसे बड़ा मक्का हो उसको उखाड़ के लेके आओ मेरे पास! लेकिन हां तुम वाहा एक ही बार जा सकते हो और एक ही बार मक्का तोड़ सकते हो!
इस तरह वो छात्र खेत में पहुच गया और उसने देखा की एक मक्के का फल बहुत बड़ा है लेकिन उसने सोचा की ऐसे और भी तो मक्के के फल होंगे और वो और बड़े की तलाश की में आगे की ओर बढ़ता चला गया बहुत आगे जाने के बाद उसको एहसास हुआ की बड़े की तलाश में वो अच्छे और बड़े फल तो पीछे छोड़ आया है, बाद में वो अफ़सोस करते हुए खाली हाथ वापिस आ गया ! अध्यापक ने बोला की यही प्यार है, आप हमेशा बेहतर की तलाश में रहते है और बाद में आपको एहसास होता है की वो तो आपको पहले ही मिला था लेकिन आपने उसे ऐसे ही जाने दिया !

छात्र ने पूछा की फिर शादी क्या है? अध्यापक ने फिर उसे खेत में भेज दिया शर्त इस बार भी वही थी! लेकिन छात्र ने इस बार कोई गलती नहीं की और तीसरी चौथी कतार तक पहुचते पहुचते एक मक्के का फल तोड़ लिया और खुसी खुसी अध्यापक के पास लौट आया! अध्यापक ने कहा तुमने इस बार इतने बड़े खेत में से केवल एक मक्के का फल तोडा और वापिस चले आये , क्योकि तुम्हे इसी मक्के के फल की तलाश थी ! जो बस अच्छा हो जिस पर तुम्हे भरोसा हो की जो तुमने पाया है वही सबसे अच्छा है ......और यही शादी है!!!
जीवन का सुख भटकने में नहीं बल्कि जो पाया है उसमे खुश रहने में है !!!!

Monday, March 14, 2011

Marriage

It is well said that marriages are made in heaven and celebrated on earth.It brings significant stability and substance to human relationships, which is otherwise incomplete.The key to successful marriage is love, understanding, mutual respect, trust, commitment and togetherness.

I had lot of expectation from my marriage and finally the day has come to make him true.Marriage is the relatioship of mutual understanding and I hope we will made this quote possible by our relationship and trust.

There are three common word Love, Trust and Peace are the foundation of any good relationship. These things can be achieved only by a good relationship and mutual understanding.

Saturday, February 12, 2011

Happy Valentine Day

Happy Valentine day to all the lovers who believe in love and commitment.